मंगलवार, 18 मई 2010

पृथ्वी पर जीवन सतत् बना रह सके, इसके लिए मनुष्य को समग्र जीवन के प्रति संवदेनशील रुख अपनाने की आवश्यकता है। यद्यपि आज मनुष्य पर्यावरण की रक्षा के खातिर मैत्रीपूर्ण तकनीक अपनाने की दिशा में बढ़ने लगा है। परन्तु इनसे औद्योगीकरण का दबाव कम होगा और मनुष्य में समग्र जीवन के प्रति संवेदनशीलता जगेगी, इसमें संदेह है। फिर भी इतना आवश्य है कि आज के तकनीकी विकास की सुविधाओं को किसी सीमा तक त्याग कर ही मनुष्य पर्यावरण मैत्रीपूर्ण तकनीक का अनुशीलन कर सकता है।

पेड़ प्रकृति के वातानुकूलक हैं। एक पेड़ प्रति दिन 400 लिटर पानी हवा में उत्सर्जित करता है, जिससे उतनी ठंडक पैदा होती है जितनी 2500 किलोकेलरी प्रतिघंटा की क्षमता वाले 5 वातानुकूलकों के 20 घंटे निरंतर चलने से पैदा होती है। संवहनी हवाओं के चलते रहने और पत्तों और टहनियों की छाया के कारण भरी दुपहरी में भी पेड़ के नीचे तापमान खुले स्थानों से 10 अंश सेल्सियस कम होता है।

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